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हरियाणवी कविता — डॉo सत्यवान सौरभ

धर्म-कर्म का पालणा, अरै गीता का उपदेश।

सच मै हरि का वास सै, यो हरियाणा प्रदेश।।

 

सुख शांति की या जमीं, अरै सै वेदा का ज्ञान।

माट्टी सै या वीरा की,जो राखै देश की आन।।

हट्टे-कट्टे लोग रवै,अरै न्यारा-न्यारा सै भेष।।

फेर भी इस माटी मै, ना कोई राग द्वेष।।

 

कुरुक्षेत्र की सै या माटी, जो करै कर्म निबाह।

पानीपत मैदान म्हारा, यो ऐतिहासिक गवाह।।

अरै,चप्पे-चप्पे भरे पड़े, शाहिदां के उपदेश।

आंदोलन का गढ़ सै यो, जिसतै भारत देश।।

 

मर्द युद्धों मै टक्कर दे,अरै जीतै मैडल बीर।

छैल गाबरू हरियाणे के, खूब सिखावै धीर।।

मेल-जोड़ त्योंहार मै, झलके खूब प्रीत।

माणस-माणस कट्ठे सै, गावै प्रेम के गीत।।

 

धर्म-कर्म का पालणा,अरै गीता का उपदेश।

सच मै हरि का वास सै, यो हरियाणा प्रदेश।।

 

–डॉo सत्यवान सौरभ, 333, परी वाटिका, कौशल्या भवन,  बड़वा (सिवानी)

भिवानी, हरियाणा – 127045 मोबाइल :9466526148, 01255281381

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