तेरी हर अदा पे तेरी इस हंसी पे जान फिदा है मेरी,
तू ऐसे बस गई मुझमें, कि अब चाह नहीं है कोई।
तेरे इन होंठों की मीठी-मीठी बातों का कायल हुआ हूं मैं,
तेरे इन पैरों के पायल की छन – छन से घायल हुआ हूं मैं ।
तेरी इन आंखों में सपनों को अपने मैं देखा करीब से,
मेरे हर धड़कन में, धड़कती है जिंदगी तेरे नसीब से।
तू इक चाहत है, तू ही मेरी जिंदगी है मुझमें बसी है तू,
तेरे हर आहट से, तेरे मुस्कुराहट से मिलता है मुझको सकूं।
न हीं दूर जाना है, न ही घबराना है, पलकों पे रहना तेरे,
मेरे हर इक सांसों की कड़ियों में हर पल है रहना तुझे।
– डॉ आ शीष मिश्र उर्वर, कादीपुर, सुल्तानपुर, उत्तर प्रदेश .