( 1 )” पितृपक्ष में “, पितृपक्ष में
आओ मिलकर करें सभी,
अपने-अपने पूर्वजों की याद !
और करते चलें श्रद्धापूर्वक सभी …,
खूब धर्म पुण्यकर्म, यज्ञ और दान !!
( 2 )” पूर्वजों की “, पूर्वजों की
मधुर स्मृतियाँ को सहजें
जीवन में नव ऊर्जा का संचरण करें !
और श्राद्धकर्म से होए चलें पितृ तृप्त…,
असीम सुख शांति जीवन में मिले !!
( 3 )” याद करें “, याद करें
दिल की अतल गहराईयों से,
सदा चलें इनके दिखलाए पथ पे !
और भूलें न पितरों को कभी यहाँ..,
सदैव अपना कर्तव्य फर्ज़ निभाए चलें !!
( 4 )” नित्यकर्म करके “,
स्नान आदि हम करें,
चलें स्वच्छ वस्त्र धारण करते !
और पितरों को तर्पण पिंडदान देते…,
इनके नाम का एक दीपक जलाएं !!
( 5 )” श्राद्ध पितृपक्ष “, का
है बड़ा ही धार्मिक, आध्यात्मिक महत्व,
मनाएं इसे शुद्ध सात्विकता के साथ यहाँ !
मनसा कर्मणा वाचा में सामंजस्य बैठाकर..,
करते चलें विशुद्ध भावों संग तर्पण सदा !!
सुनील गुप्ता (सुनीलानंद), जयपुर, राजस्थान