मनोरंजन

ग़ज़ल – रीता गुलाटी

दिल तड़फता है मेरा किसी के लिये,

जान हाजिर है मेरी उसी के लिये।

 

आ लिखू़ मै कहानी सभी के लिये,

हो न जाऊ फना दोस्ती के लिये।

 

चांद तारो से सजने लगी पालकी,

मै बनूं आज दुल्हन खुशी के लिये।

 

दिल्लगी यार दिल तुमसे करने लगा,

दिल धड़कता नही अब किसी के लिये।

 

हाल मेरा सुनो आज दिल का जरा,

ये तड़फता है दिल प्रेम ही के लिये।

 

कर रही मै भरोसा तेरे प्यार पर,

मै जियूंगी सदा हां खुशी के लिये।

 

चांद तारे निहारे मेरे चांद को,

अब दुआ मै करूं बन्दगी के लिये।

– रीता गुलाटी ऋतंभरा, चण्डीगढ़

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