मनोरंजन

तुमने देखा – भूपेन्द्र राघव

तुमने  देखा  जब पलट के ओये होए ।

तुम  लगे ओरों  से  हटके  ओये होए ॥

साँसें  तो  रुक  ही गयीं  थीं क्या कहूँ ।

दिल ने  मारे तीन  झटके  ओये  होए ॥

नम्बरों   की  अदला  बदली हो  गयी ।

मैं भी पगला  वो भी पगली  हो  गयी ॥

पेट्रोलिंग  दिन  रात  गलियों  मे   हुई ।

पहनकर  हेलमेट  भटके  ओये  होये ॥

तुमने देखा ……………………………

आँख ही आँखों में कई दिन बात हुई ।

छत पर सुबह और  छत पर रात हुई ॥

इक दिन मिलना था कि कोई आ गया ।

और  हम पाइप पे  लटके  ओये होए ॥

तुमने देखा ……………………………

नीचे  मधुमक्खी का  छत्ता दिख  रहा ।

ऊपर  एक  आरी का  पत्ता दिख रहा ॥

ओह!  पजामे  की  सिलाई  भी  गयी ।

खुल गयी म्यानी भी फटके ओये होये ॥

तुमने देखा ……………………………

लो   हथेली   में  पसीना  आ  गया ।

इश्क  देखो किस  तरह फिसला गया ॥

मैं  ही  जानूं   कैसे   गुजरी  रात  वो ।

राम  जी का  नाम रट के  ओये  होये ॥

तुमने देखा ……………………………

– भूपेन्द्र राघव , खुर्जा, उत्तर प्रदेश

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