मनोरंजन

हकीकत-ए-जिंदगी – डॉ आशीष मिश्र

तलाश अभी जारी है हकीकत से रूबरू होने की,

जो खोया है करो कोशिश उसे तुम पास लाने की।।

उठो उठ कर चलो फिर से यही है रीत इस जग की ,

करुं सजदा यही रब से  मिले खुशियां जमाने की।।

 

हकीकत एक दिन सबको नज़र आई जमाने की,

करो इनकार या इकरार किसे है फिक्र दुनिया की।।

बडी चाहत थी मुझको भी बस खुद से मिलने की ,

मिला जैसे समझ आयी सब हकीकत दुनिया की।।

 

किसे तकलीफ़ कितनी है किसे है फ्रिक्र अपनों की,

यहां हर रोज होती है कवायद सिर्फ वेफजूलों की।।

किसे है फिक्र दुनिया की किसे है चाह सपनों की,

सभी है मस्त अपने मे किसे परवाह अपनों की।।

– डॉ आशीष मिश्र उर्वर, कादीपुर, सुल्तानपुर, मो. 9043669462

Related posts

अंध विश्वास की चरण रज – पंकज शर्मा तरुण

newsadmin

तन भी बेगाना – अनुराधा पाण्डेय

newsadmin

नाटू नाटू चला खाटू – सुनील गुप्ता

newsadmin

Leave a Comment