मनोरंजन

महूं जाहूं स्कूल – अशोक यादव

सुन ना दाई ओ, सुन गा मोर ददा।

महूं जाहूं स्कूल, ले दव ना बस्ता।।

 

पेन, कापी हा, मोर संगी-साथी ए।

पुस्तक मनी हा, जिनगी के थाती ए।।

पढ़-लिख के चलहूं गियान के रद्दा।

महूं जाहूं स्कूल, ले दव ना बस्ता।।

 

गुरु जी हा सुनाही, बब्बर शेर के कहानी।

पढ़बो हमन कबिता, मछली जल के रानी।।

हिन्दी हवय मोर महतारी के भाखा।

महूं जाहूं स्कूल, ले दव ना बस्ता।।

 

जोड़-घटाव बर खुलही गणित के पिटारा।

गुणा-भाग बर गिनबो पहाड़ा गिनतारा।।

आकृति नापबो ता आहय खूब मजा।

महूं जाहूं स्कूल, ले दव ना बस्ता।।

 

जम्मों जिनिस के नाव ला अंग्रेजी म बोलबो।

सतरंगी इंद्रधनुष के निसैनी बनाके चढ़बो।।

सीखबो पोयम जॉनी-जॉनी यस पापा।

महूं जाहूं स्कूल, ले दव ना बस्ता।।

 

खेलबो खेलगढ़िया के हमन खेल।

कभू कबड्डी, खो-खो, कभू रेलमरेल।।

नाचा अऊ गाना म मोरो होही चर्चा।

महूं जाहूं स्कूल, ले दव ना बस्ता।।

अशोक कुमार यादव मुंगेली, छत्तीसगढ़

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