कवियों की जाति नहीं, बोलता हूं बात सही ,
जाति भेद से परे हैं , जाट है न नाई हैं ।
हिंदू न मुसलमान , शारदा के पूत जान ,
नहीं जैन बौद्ध मानो , और न ईसाई हैं ।।
मात शारदा के पूत , वाणी के हैं राजदूत ,
नहीं कांग्रेसी मानो , नहीं भाजपाई हैं ।
नहीं वोट मांगते हैं ,खूब नोट चाहते हैं ,
मंच वाले कवियों की तालियां कमाई हैं ।।
-जसवीर सिंह हलधर , देहरादून