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ग़ज़ल (हिंदी) – जसवीर सिंह हलधर

वो बुरा है या भला है आपको तकलीफ़ क्या ।

शांत है या मनचला है आपको तकलीफ़ क्या ।।

 

वो गुलाबी फूल को नीला कहे या बैंगनी ,

रंग भेदों ने छला है आपको तकलीफ़ क्या ।

 

चांद ने धोखा दिया तो चांदनी भी मौन थी ,

दीप बन वो ही जला है आपको तकलीफ़ क्या ।

 

सिंधु है या झील है वो या बड़ा तालाब है ,

तंग या चौड़ा तला है आपको तकलीफ़ क्या ।

 

वो हरड़ है या बहेड़ा या बताओ आंवला ,

कुल मिलाकर तिरफला है आपको तकलीफ़ क्या ।

 

शेर वजनी कह रहा या छंद की कारीगरी ,

ठोस है या खोखला है आपको तकलीफ़ क्या ।

 

वो गरीबों के सहारे हो गया धनवान क्यों ,

आदमी वो दोगला है आपको तकलीफ़ क्या ।

 

देश में गुजरात के खाने बहुत चलने लगे ,

फाफड़ा या ढोकला है आपको तकलीफ़ क्या ।

 

सामने जिनके झुका सर पैर रख के चढ़ गए ,

जाट ‘हलधर’ बावला है आपको तकलीफ़ क्या ।

– जसवीर सिंह हलधर, देहरादून

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