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आंखो का काजल – सुनील गुप्ता

सज

आऊँ आंखों में

तेरी मैं बन यदि अंजन काजल  !

तो, चले जाए संवरती मेरी किस्मत…..,

और रहूँ मैं फिर तेरा ज़िन्दगी भर कायल !!1!!

 

अरज

मेरी है प्रभु से

कि, चलूँ मैं तुझे पाए हरेक पल  !

भले हो सुबह ओ शाम या हो रात….,

बन नयनों का नूर चलूँ रोशन करता हर पल !!2!!

 

सब्र

है सहर खिलेगी

और छंटेगी कालीमा, यामिनी जाएगी दूर  !

तब सज आऊंगा बन तेरी आंखों में अंजन….,

और चलूँगा बिखेरता चमक जीवन में चहुँ ओर !!3!!

 

कभी

बहने ना दूँगा

तेरी अंखियन से अश्कों को यहाँ पे  !

और रहूँगा संभाले अपने काजल में नीर….,

स्वयं पी जाऊँगा सागर बन सभी गम तेरे !!4!!

 

बनके

अंखियों का काजल

नित चलूँ सजाए सुंदर सपने सुनहरे  !

फिर जो भी देखे चले गाए है गज़ल….,

और चलूँ इतराए गाए गीत मधुर सलोने !!5!!

सुनील गुप्ता (सुनीलानंद), जयपुर, राजस्थान

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