बिना तुम्हारे साथ के ये जिन्दगी चली नही.
रहे सदा वो संग मे कि प्यार मे कमी नही।
चढा खुमार आज तो, जो बोलता है सर चढा.
भले मैं पास हूँ तेरे मिटी ये तिश्नगी नही।
खुशी से नाचता ये दिल, सजन को अब रिझायेगा.
नशे मे झूमता है दिल, खुशी सम्भल रही नही।
लिखी है शायरी बडी, सुनो जरा ए हमसफर,
लिखे हैं गीत अब बडे, कहे ये मौसकी नही।
वो देखते हैं प्यार से, लगे हुआ इश्क है,.
जरा सा ये लगाव है ये सिर्फ आशिकी नही।
दिखा रहे हकीम को, नही दिखा है मर्ज भी,
लिया न नाम आपका नब्ज भी चली नही।
फलक के चाँद से दिखी ये रोशनी है प्यार की.
फिजा मे अब घुली हुई ये चाहते घटी नही।
– रीता गुलाटी ऋतंभरा, चंडीगढ़