1-मरे पुराने देवता ,पैदा हुए नवीन ।
साँईं के दरबार में ,गिनती नोट मशीन ।।
2-
नेता अधिकारी सभी ,करते शहर निवास ।
चर्चा करते गांव का , कैसे होय विकास ।।
3-
नैतिकता गायब हुई , योगी हुए मलीन ।
बाबाओं के कक्ष में ,लाखों के कालीन ।।
4-
गर्म हवा को डांटती ,जून माह में दूब ।
तेरे मारे ना मरूँ ,जड़ गहरी हैं खूब ।।
5-
कविता कवि की भावना ,लोचन कोरा ज्ञान ।
तर्क तराजू में कभी , तुला न कवि का मान ।।
– जसवीर सिंह हलधर, देहरादून