गंगा दशहरा पुण्यशाली दान पूजन कीजिये,
अवतरण का दिन सुपावन चित्त में धर लीजिये।
भागीरथी जी पुण्य सलिला पाप हर लेतीं सदा,
सब कर्म अच्छे ही करें वरदान माँ यह दीजिये।
पिता बरगद सरीखा है सुरक्षा चक्र के सम है,
सुदृढ़ सी नींव बन पाये पिता के पास वो दम है।
हमेशा छाँह देता है प्रदर्शन पितु नहीं करता,
मिले सम्मान सँग सेवा भला ये आज क्या कम है।
– कर्नल प्रवीण त्रिपाठी, नोएडा, उत्तर प्रदेश