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रामायण महत्व और व्यक्ति विशेष (पुस्तक चर्चा) – विवेक रंजन श्रीवास्तव

neerajtimes.com – दैनिक संघर्षो का ही दूसरा नाम जीवन है। अपनी योग्यता और शक्ति के अनुरूप प्रत्येक मनुष्य जीवन रथ हांकते हुये संकटों का सामना करता है पर अनेकानेक विपत्तियां ऐसी होती हैं जो अचानक आती हैं , जो हमारी क्षमताओं से बड़ी हमारे बस में नहीं होतीं। उन कठिन परिस्थितियों में हमें एक मार्गदर्शक और सहारे की जरूरत पड़ती है। ईश्वर उसी संबल के लिये रचा गया है। भक्ति मार्ग पूजा, पाठ,जप, प्रार्थना और विश्वास का सरल रास्ता प्रशस्त करता है। ज्ञान मार्ग ईश्वर को , जीवन को, कठिनाई को समझने और हल खोजने का चुनौती भरा मार्ग बताता है। कर्म मार्ग स्वयं की योग्यता विकसित करने और मुश्किलों से जूझने का रास्ता दिखाता है। ईश्वर की परिकल्पना हर स्थिति में मनोवैज्ञानिक सहारा बनती है। राम, कृष्ण या अन्य अवतारों के माध्यम से ईश्वर के मानवीकरण द्वारा आदर्श आचरण के उदाहरणों की व्याख्या की गई है। आजकल कापीकैट चेन मार्केटिंग में मैनेजमेंट गुरू बताते हैं कि बिना किसी घालमेल के उनके व्यापारिक मॉडल का अनुकरण करें तो लक्ष्य पूर्ति अवश्यसंभावी होती है। जीवन की विषम स्थितियों में हम भी राम चरित्र का आचरण अपना कर अपना जीवन सफल बना सकें इसलिये वाल्मिकी ने रामायण में ईश्वरीय शक्तियों से विलग कर श्रीराम को मनुष्य की तरह विपत्तियों से जूझकर जीतने के उदाहरण के रूप में प्रस्तुत किया है। रामायण नितांत पारिवारिक प्रसंगो से भरपूर है। राम चरित्र में आदर्श पुत्र, आदर्श भाई, आदर्श पति, जिम्मेदार शिष्य, कर्तव्य परायण राजा, विषम परिस्थितियों में धैर्य के संग चुनौतियों का सामना करने वाला राजकुमार, नेतृत्व क्षमताओं से भरपूर योद्धा, इत्यादि सारे गुण इनमें परिलक्षित होते हैं। राम चरित्र भारत की सांस्कृतिक धरोहर है। धार्मिक मनोवृत्ति वाले सभी भारतीय, जन्मना आस्था और आत्मा से श्रीराम से जुडे हुये हैं। श्री राम का जीवन चरित्र प्रत्येक दृष्टिकोण से हमारे लिये मधुर, मनोरम और अनुकरणीय है।  मानस के विभिन्न प्रसंगों में हमारे दैनंदिक जीवन के संभावित संकटों के श्रीराम द्वारा मानवीय स्वरूप में भोगे हुये आत्मीय भाव से आचरण के मनोरम प्रसंग हैं। किन्तु कुछ विशेष प्रसंग भाषा, वर्णन, भाव, प्रभावोत्पादकता की दृष्टि से बिरले हैं। इन्हें पढ, सुन, हृदयंगम कर मन भावुक हो जाता है। श्रद्वा, भक्ति, प्रेम, से हृदय आप्लावित हो जाता है। हम भाव विभोर हो जाते हैं। भक्तों को अलौलिक आत्मिक सुख  का अहसास होता है। इतिहास साक्षी है कि आक्रांताओ की दुर्दांत यातनाओं के संकट भी भारतीय जन मानस राम भक्ति में भूलकर अपनी संस्कृति बचा सकने में सफल रहा है। ज्ञान मार्गी रामायण की जाने कितनी व्यापक व्याख्यायें करते रहे हैं, अनेक ग्रंथ रचे गये हैं। कितनी ही डाक्टरेट की उपाधियां रामायण के किसी एक चरित्र की व्याख्या पर ली जा चुकी हैं। किन्तु सच है कि  हरि अनंत हरि कथा अनंता।

मूल मराठी लेखक विश्वास देशपांडे जी ने भी रामायण महत्व और व्यक्ति विशेष के अंतर्गत रामायण के पात्रों और प्रसंगो पर छोटे छोटे लेखों में उनके सारगर्भित विचार रखे हैं। ईश्वरीय प्रेरणा से डॉ. मीना श्रीवास्तव उन्हें पढ़कर इतनी प्रभावित हुईं कि उन्होंने इन लेखों का हिन्दी , अंग्रेजी अनुवाद कर डाला। यही अनुवाद इस छोटी सी किताब का कलेवर है। व्यक्तित्व खण्ड में श्री राम, सीता, लक्ष्मण, भरत, शत्रुघ्न, उर्मिला , हनुमान, विभीषण , कैकेयी, रावण पर संक्षिप्त, पठनीय लेख हैं। इन समस्त चरित्रों पर हिन्दी साहित्य में अलग अलग रचनाकारों ने कितने ही खण्ड काव्य रचे हैं और विशद व्याख्यायें, टीकायें की गई हैं। उसी अनवरत राम कथा के यज्ञ में ये लेख भी सारगर्भित आहुतियां बन पड़े हैं।

राम कथा का महत्व , रामायण पारिवारिक संस्था , रामायण कालीन समाज, रामायण कालीन शासन व्यवस्था, रामायण की ज्ञात अज्ञात बातें जैसे आलेख भी जानकारियों से भरपूर हैं। अस्तु पुस्तक पठनीय , और संग्रहणीय है। (विनायक फीचर्स)

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