(1) ” प “, पता हो अगर हमें कि आगे
आने वाली है कोई परेशानी !
तो, नहीं करें तनिक यहां पे चिंता…..,
और चलें रखते हर काम में सावधानी !!
(2) ” रे “, रेस में अगर है हमें बने रहना
तो, काम तो यहां करना ही पड़ेगा !
भले ही हो जीवन राहें कितनी भी कठिन.,
पर, हर हाल में हमें चलना ही पड़ेगा !!
(3) ” शा “, शालीनता रखें अपने व्यवहार में
और कभी किसी से व्यर्थ बहस ना करें !
सदैव बनें रहें अपने ‘स्व’, आनंद में….,
और किसी से अनावश्यक चर्चा ना करें !!
(4) ” नी “, नीति रीति ना बदलें यहां कभी भी
और सुनें सबकी, करें मन की अपनी !
अपनी परेशानी का हल ढूंढे स्वयं ही…,
और बदलें ना स्वयं की कथनी करनी !!
(5) ” परेशानी “, परेशानी का सबब हैं हम स्वयं ही
और डाल देते हैं ये भार दूजों पर !
गर, खुदी में झाँक के देख लें एक बार..,
तो,खत्म हो जाएं परेशानी सब यहांपर!!
-सुनील गुप्ता (सुनीलानंद), जयपुर, राजस्थान