( 1 )” श्री “,श्री शंकर स्वयं केसरीनंदन
करें योगविदहनुमान का वंदन !
बसे राम सिय लखन मन ह्रदय…..,
करें हाथ जोड़ पवनसुत को नमन !!
( 2 )” यो “,योगी तपस्वी परम राम स्नेही
श्री योगविदहनुमान पराक्रमी !
अंजनि पुत्र महा बलदायी….,
कुमति निवार सुमति के संगी !!
( 3 )” ग “,गये जलधि लांघि अचरज नाहिं
हनुमत सेइ सर्व सुख करई !
धर्मवीर महावीर बलवीरा……,
सब कारज कर हरषि उर लाई !!
( 4 )” वि “,विद्यावान गुनी अति चातुर
रहे सदा सेवा में आतुर !
श्रीयोगविदहनुमान मनमोहक…..,
बसें हमारे मन मंदिर अंदर !!
( 5 )” द “,दर्द दुःख सब हर लेवें
मन क्रम वचन ध्यान जो लावै !
बसें ह्रदय श्रीयोगविदहनुमान …..,
सब संकट ते बालाजी छुड़ावें !!
( 6 )” ह “,हरि ह्रदय विराजे राम दुलारे
अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता !
माता जानकी के अति प्यारे….,
हैं योगविदहनुमान प्रभु दासा !!
( 7 )” नु “,नुमाइश करें ना पवनकुमार
सदा रहें ये सेवा में रत !
प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहिं…..,
जलधि लांघि गए अचरज सब करत !!
( 8 )” मा “,मान अपमान कभी ना करिए
सदा रखिए राम रसायन पासा !
भजन राम के गाते रहिए…..,
भूत पिशाच निकट नहिं आवा !!
( 9 )” न “,नमन वंदन करते बिन नागा
रहें शरणागत रघुपति के दासा !
श्रीयोगविदहनुमान रखवारे…..,
हैं सब पर राम तपस्वी राजा !!
( 10 )” श्रीयोगविदहनुमान “,बसे उर
जन्म-जन्म के दुःख बिसरावै !
कृपा करें हनुमंत सभी पर……,
होए पूर्ण मनोरथ, जीवन फल पावै !!
-सुनील गुप्ता (सुनीलानंद), जयपुर, राजस्थान