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मेरे रंग में रंगने वाली – सविता सिंह

पहले यह दिल मेरा ही था,

हम बस मन की सुनते रहे|

जब से तुम आ गए हो सखे,

ख्वाब सुनहरे बुनते  रहे|

मैं अब तेरी  तू मेरा है,

और भला हमें  क्या करना|

पाकर तुझे मन नहीं भरता

तुझको तुझसे  चुनते रहे|

आँखों में पल पल पलते हो,

नजर कोई लगाएगा क्या?

ये अंजन तुझ पर वार दिये ,

तुझे नैन में  गुनते  रहे|

बंद पलक करके जब देखे

छवि तेरी ही निराली थी|

तुम बस यूँ ही कहते रहना

हम बस तुझको सुनते रहे|

जब तक मुझको तुम न मिले थे

सुना सा  दिल का आँगन था|

अब मन मेरा उपवन सा है,

फूल से हम निखरते रहे।

मुझ पर तेरा रंग चढ़ा यों

श्यामल तन मन हो गया,

गौर वर्ण भाये ना हमको

श्याम रंग मे रंगते रहे।

– सविता सिंह मीरा, जमशेदपुर

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