मनोरंजन

तेरा प्रभाव – सविता सिंह

मेरा ये भाव

है तेरा प्रभाव,

बिन तेरे जैसे

लागे आभाव।

कैसा लगाव,

कितना जुड़ाव,

थके पथिक को

मिले शीतल छाँव।

कभी ऐसा लगे

जैसे गये थे ठगे

जो तुम मिले

लगते सगे ।

अविरल बहे

कितना सहे

जैसे नदी

चुप ही रहे।

कैसी ये डोर

खींचे तेरी ओर

थाम तो लो

ये दूजी छोर।

भिगो कर मन

खिलाया सुमन

महको आकर

मेरे उपवन ।

मेरे आंगन

पहन कंगन

खनकाओ तुम

ये जीवन।

होता है प्रतीत,

बन गये मनमीत,

घर के नेम प्लेट पे

नाम तेरा अंकित ।

– सविता सिंह मीरा, जमशेदपुर

Related posts

ग़ज़ल – रीता गुलाटी

newsadmin

ग़ज़ल हिंदी – जसवीर सिंह हलधर

newsadmin

गीतिका – मधु शुक्ला

newsadmin

Leave a Comment