मनोरंजन

बेबसी – कर्नल प्रवीण त्रिपाठी

यत्न करके रोकनी हैं नफरतों की आँधियाँ।

देशघाती लोग उस क्षण हार जायें बाजियाँ।1

 

एक हाहाकर सा हर प्रांत में अब मच रहा,

ज्यादती अब झेलतीं हैवान की नित नारियाँ।2

 

आँख जब मूँदे प्रशासन जुल्म बढ़ता हर जगह,

अस्मिता अपनी बचाने अब जूझती बेचारियाँ।3

 

जो करें प्रतिरोध उनको ठूँसते हैं जेल में,

साहसी फिर भी डटे यद्यपि बरसतीं लाठियाँ।4

 

जब व्यवस्था पक्षपाती हो गई हो क्या करें?

लोग बस कुढ़ते रहें शासक मिला जब काइयाँ।5

 

नित विभाजित हो रहे सब जाति के आधार पर,

धर्म के भी नाम पर अब खुद रहीं नव खाइयाँ।6

 

न्याय की आशा नहीं है बेबसी छूती चरम,

ईश ही शायद करे अब दूर हर दुश्वारियाँ।7

– कर्नल प्रवीण त्रिपाठी, नोएडा, उत्तर प्रदेश

Related posts

दोहा गजल – अनिरुद्ध कुमार

newsadmin

समस्या – जया भराड़े बड़ोदकर

newsadmin

सुरता बर नंगत गठियावत हे – सुरेश बन्छोर

newsadmin

Leave a Comment