मेरी बात करो मत भैया ,तुम अपना घरवार सँभालो ।
मैं तो खतरे से बाहर हूँ ,तुम अपना संसार सँभालो ।।
संघ राज्य बतलाते मुझको,नाम राष्ट्र का नहीं लिखाये ।
अब भी मुझमें छिपे हुए हैं ,ब्रिटिश कानूनों के साये ।
मुझको ढाल बनाने वालों , तुम अपनी तलवार सँभालो ।।
मेरी बात करो मत भैया ,तुम अपना घरवार सँभालो ।।1
जब भी पाया तुमने मौका ,देते आये मुझको धोखा ।
सौ से ज्यादा घाव दिए हैं ,संसद में सब लेखा जोखा ।
मेरी घायल देह न देखो ,अपने मनोविकार सँभालो ।।
मैं तो खतरे से बाहर हूँ ,तुम अपना संसार सँभालो ।।2
तुम बैठे हो घात लगाए ,मिल कैसे सरकार गिरायें ।
अपने अपने युवराजों को ,गद्दी का हकदार बनायें ।
मेरे रोग गिनो मत भाई ,खुद अपना उपचार सँभालो ।।
मेरी बात करो मत भैया , तुम अपना घरवार सँभालो ।।3
मुझको धर्म हीन बतलाकर ,तुमने ही निरपेक्ष बनाया ।
बिना आत्मा के क्या कोई ,जीवित रह सकती है काया ।
मेरी नीव न खोदो अब तुम खुद अपनी दीवार सँभालो ।।
मैं तो खतरे से बाहर हूँ , तुम अपना संसार सँभालो ।।4।।
जसवीर सिंह हलधर , देहरादून