मनोरंजन

ग़ज़ल – रीता गुलाटी

सदा प्यार पलती रही है,

दीया सी वो जलती रही है।

 

सजी आज डोली रही है,

पिया घर में सजनी रही है।

 

सजा सेहरा अब तुम्हारा,

चमक चाँदनी सी रही है।

 

खुशी आज देखी अधर पर,

फलीभूत शादी रही है।

 

चले आ रहे है तेरे दर,

दुआ की यह अरजी रही है।

 

मिली आज तुमसे जुदाई,

तेरी लौ मे जलती रही है

– रीता गुलाटी ऋतंभरा, चंडीगढ़

Related posts

माता भाग्य विधाता (आल्ह छंद ) – कर्नल प्रवीण त्रिपाठी

newsadmin

जज्बात सलामत रहने दो – मधु शुक्ला

newsadmin

कमजोर वर्गों के बदलाव, सशक्तिकरण और नई सोच की कहानी लिखते डॉ.मोहन यादव – डॉ हितेश वाजपेयी

newsadmin

Leave a Comment