मनोरंजन

घनाक्षरी – सम्पदा ठाकुर

अब ना हो कोई गम,

ना किसी की आंखे नम,

दीप प्रेम का सनम,

दिल में जलाइये।

इंतजार ना बात का ,

सदियों से हो साथ का ,

जुनून जज़्बात वही ,

फिर से तो लाइए ।।

ये दिल की आवाज है,

बस तुम्हारे साथ है ,

जीवन का हिस्सा इसे ,

अपना बनाइए।।

मिलते हैं लोग जब ,

करते हैं भोग सब,

ना रहे ऐसा चलन ,

जहां से मिटाइए ।।

– सम्पदा ठाकुर, मुंगेर , बिहार

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