आओ मुस्कुराने की वजह बनें हम
और चलें सदा यहां पे मुस्कुराते !
क्यूँ मनाएं दुःख विषाद और मातम….,
और चलें हमेशा यहां पे खिलखिलाते !!1!!
है ये बड़ा ही खुशनसीब भाग्य हमारा
कि, हमने मनुज जन्म है यहां पाया !
और पुण्य प्रारब्ध कर्मों के फलस्वरूप ही ….,
इस सनातन देवभूमि पे स्थान है बनाया !!2!!
सदैव बरतें यहां कर्म करते सावधानी
कि, किसी का हो ना हमसे कोई भी अहित !
बस चलें करते पालन अपने स्वधर्म का….,
और करें मानव कल्याण कार्यों को अनवरत !!3!!
रखें सभी के प्रति प्रेम दया सदाशयता
और बनें सदा बड़े उदार दिल वाले !
चलें फैलाए प्रेम धर्म आध्यात्मिकता…..,
और करें काम खुशियाँ आनंद देने वाले !!4!!
होगी तभी मनुज जीवन की सार्थकता
कि, जब चहुँओर बरसेगा प्रेम आनंद जमकर !
होगी यही हमारे जीवन की सच्ची सफलता….,
कि, जब मुस्कुराएंगे सभी यहां मिल-जुलकर!!5!!
सुनील गुप्ता (सुनीलानंद), जयपुर, राजस्थान