चित्त दुखाइ तिरस्कार पनि मनले सहॅदो रहेछ,
आफन्तको माया दिलभित्र गहिरो रहॅदो रहेछ।
नबोलेर के टाढिएर के भयो र अपनत्व भएपछि,
सधै मनमा सम्झनाको भेल बाढी बहॅदो रहेछ।
हिंदी –
दर्द और नफरत दिल सह सकता है,
किसी रिश्तेदार का प्यार दिल में गहरा रहता है।
बिन बोले चले जाओ तो क्या और प्यार हो तो क्या,
दिल में हमेशा यादों की बाढ़ आती है।
– डा.दिव्य-प्रियंवदा काफ्ले आचार्य, काठमांडू, नेपाल