मनोरंजन

छंद सृजन (इंतजार) – मधु शुक्ला

संसार में सभी को है इंतजार सुख का,

सब स्वप्न देखते हैं जग में अपार सुख का।

 

दुल्हन करे प्रतीक्षा सम्मान प्रेम धन की,

उसको रहे समर्पित ऐसे महान मन की।

 

है देश के युवा को बस इंतजार रोजी,

उनके जतन बनें हैं बेहद जुझारु खोजी।

 

नित राह देखती है जनता समानता की,

आशा करे प्रमुख से हरदम महानता की।

 

माँ बाप पथ निहारें हर वक्त बालकों का,

पूछें कभी निकट आ वे हाल पालकों का।

 

दृग राह देखते हैं होती न पूर्ण आशा,

सच बात यह किसी की मिटती नहीं पिपासा।

— मधु शुक्ला। सतना, मध्यप्रदेश

Related posts

गजल – मधु शुक्ला

newsadmin

अपने धुन गाते – अनिरुद्ध कुमार

newsadmin

बूढा पीपल हैं कहाँ – डॉo सत्यवान सौरभ

newsadmin

Leave a Comment