मनोरंजन

अधूरी-सी मैं – रेखा मित्तल

जब भी मुलाकात होती है तुमसे

थोड़ी-बहुत वही छूट जाती हूँ मैं

मिलती हूँ जब भी तुमसे

हर बार अधूरी-सी लौट आती हूँ मैं

बहुत से शिकवे हैं तुमसे

बहुत सी शिकायते हैं जमाने से

तुम्हारा मन की बातें करते करते

अपना कुछ न कुछ छोड़ आती हूँ मैं

तुम भी तो बदल से गए हो

कभी पूछते ही नही मेरे बारे में

दुनिया भर की बातें करते-करते

अपनी रूह ही वहाँ छोड़ आती हूँ मैं

सोचती हूँ जब तुमसे मिलूँगी

तुम संग मन की तहें खोल दूँगी

पर देख तुम्हें कुछ भी याद नहीं रहता

हर बार अधूरी-सी लौट आती हूँ मैं

अबकी बार जब मैं तुमसे मिलूँगी

मैं ही कहूँगी तुम बस सुनोगे

लौटा देना मुझे मेरा वह सब कुछ

जो हर बार तुम्हारे पास छोड़ आती हूँ।

– रेखा मित्तल, चण्डीगढ़

Related posts

मानसरोवर- संगम त्रिपाठी

newsadmin

कंचन काया – सविता सिंह

newsadmin

जय सियाराम – सुनील गुप्ता

newsadmin

Leave a Comment