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जिंदगानी कहे – अनिरुद्ध कुमार

आदमी बोल क्या क्या कहानी कहे,

क्या बचा जो दिखा के निशानी कहे।

 

ओर ना छोर पानी लगे जलजला,

डूबती जिंदगी क्या जुबानी कहे।

 

बादलों का कहर जान भी दाव पर,

हाल बेहाल किससे गुमानी कहे।

 

तैर कर जा रहा आज नंगे बदन,

राह जोखिम भरा क्या जवानी कहे।

 

ठौर खोजे नजर बेसहारा लगे,

मौत से रूबरू आज पानी कहे।

 

कांपता है बदन जार हा तैर के,

जोर झेलो हवायें तुफानी कहे।

 

आफती है कहर’अनि’ दुआ मांगता,

जान बक्सो खुदा जिंदगानी कहे।

– अनिरुद्ध कुमार सिंह, धनबाद, झारखंड

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