रात भर चाँद हमसे हँसेगा नही,
सोचते आज वो भी घटेगा नही।
पास आकर जरा बैठ मेरे सनम,
ये मुहब्बत मे अब तो जलेगा नही।
प्यार तुमसे अजी हमने बेहद किया,
पाप तुमको अजी क्या लगेगा नही।
कुछ न सोचा तुम्हारे बिना आज तो,
छोड़ जाओगे कोई बचेगा नही।
प्यार का दीप हमने जला जो लिया,
इश्क का ये दीप अब तो बुझेगा नही।
– रीतागुलाटी ऋतंभरा, चंडीगढ़