मनोरंजन

ग़ज़ल – रीता गुलाटी

वो अपने दिल मे हरदम कुछ छुपाता हो कोई जैसे,

रहो  तुम  साथ मेरे अब रिझाता हो कोई जैसे।

 

हमारी चाह है तुमसे कहे हर बात दिल की हम,

लगे सपनो मे आकर वो जगाता हो कोई जैसे।

 

हमे तेरी मुहब्बत का नशा सा हो गया देखो,

नही मिलता कभी जब तू,रूलाता हो कोई जैसे।

 

गिला कैसे करूँ सबसे अजी गर साथ हो मेरे,

लगे आँगन मेरे दिल का सजाता हो कोई जैसे।

 

जुदाई अब सहे कैसे हुआ है इश्क जब तुमसे,

अरे नींदों  मे अब आकर सुलाता हो कोई जैसे।

 

जगी है लौ मेरे दिल मे करूँ पूजा तुम्हारी मैं।

ये मूरत कृष्ण की दिल मे बसाता हो कोई जैसे।

रीतागुलाटी ऋतंभरा, चंडीगढ़

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