गर ना होता
तो क्या होता !
कैसे यहां सब…….,
बनता और चलता !!1!!
है ये सोच
बड़ी ही दक़ियानूसी !
सोचें सदा सकारात्मक…..,
और छोड़ें मायूसी !!2!!
अपने वजूद को
बनाएं प्रभावी इतना !
कि, कोई स्वयं से ही पूछे…..,
दिया उसे क्यों इतना !!3!!
नहीं देर हुयी
अभी भी संभल जा !
किस्मत जाती है बनायी….,
नहीं मिलती है भिक्षा !!4!!
बेमतलब बातों में
क्यूं करता समय खराब !
करले पुरज़ोर कोशिश …..,
भाग्य चमकेगा अवश्य जनाब !!5!!
हाशिए पर टंगे
क्यों रहते हो सदा !
जरा खुद के पंजे…..,
आजमालें यदा-कदा !!6!!
बदलते समय की
चलें सुनते पुकार !
छोड़ें कोसना स्वयं को…….,
करें ठीक खुद के विकार !!7!!
करता चल मुलाकात
स्वयं से स्वयं की !
मन की अदालत में……,
कर स्वयं की भी पेशी !!8!!
मिल जाएंगे जवाब
सभी तुझे यहांपर !
नहीं भटकना पड़ेगा…..,
गर झाँक देखेगा मन अंदर !!9!!
मुश्किल नहीं है
ये पता लगाना !
होने या ना होने का…..,
देता है उत्तर ज़माना !!10!!
सुनील गुप्ता (सुनीलानंद), जयपुर, राजस्थान