मनोरंजन

बंधन – रेखा मित्तल

एक-एक पग

चली संग तुम्हारे

थामकर हाथ

निभाने चली साथ

कुछ हसीन कसमें

कुछ नवीन रस्में

सात फेरे लिए

अग्नि के समक्ष

सात वचन लिए

साथ निभाने के

हृदय में लिए उमंग

नवजीवन की ओर

बंधी पवित्र बंधन में

अनजानी प्रीत लिए

एक नया संसार बसाने

चल दी थी वर्षों पहले

पिया तुम्हारे संग

एक दूसरे से अनजान

फिर भी अपनापन

बंँधी ऐसी नेह की डोर

न भाए अब कोई आँगन

– रेखा मित्तल, सेक्टर-43, चंडीगढ़

Related posts

आशीर्वाद – जया भराडे बडॉदकर

newsadmin

सरस्वती वंदना – ममता जोशी

newsadmin

बरखा का बदला रूप – कर्नल प्रवीण त्रिपाठी

newsadmin

Leave a Comment