तुम हो माता जग तारणहार,
हे मां तुम्हे नमन बारम्बार।
जग जननी हो,
जय मां दुर्गा।
तुम्हें नमन है मेरा,
घर -घर अक्षत आरती चंदन,
सदा हो रही है तेरी वंदन।।
मां जगदम्बा मेरे घर पधारो,
घर में आसन लगा हुआ है।
मैं नौ दिन तेरी करूं चाकरी,
मन श्रद्धा से भरा हुआ है।।
जहां मंदिर है देवी माता का,
वहाँ बह रही अमृत की धार।
जहाँ चरते हैं खग मृग् सब,
सब जीवों की पालन हार।।
जग जननी हो जय मां दुर्गा,
हे मां तुम्हें नमन बारम्बार।।
तुम हो माता जग तारणहार,
हे मां तुम्हे नमन बारम्बार।
✍रोहित आनंद, शिवपुरी, पूर्णिया, बिहार