हे प्रभु ! हम शरण में तेरी
हमें गह लीजिए,
पाप हर लो, हे प्रभु! बुद्धि
विमल कर दीजिए।
सत्य मग पर ही चले, ऐसी हो
मन में धारणा,
हर अवस्था में न भूले आपको,
हो कामना।
हे दया निधान ! शिवा के प्राणप्रिय
कर दो दया,
उमा,गणपति संग तुम मन में बसो
कर दो कृपा।
– डा० क्षमा कौशिक, देहरादून , उत्तराखंड