जिंदगी मे कुछ बची खुशियाँ बचाओ तो,
यूँ न रूठो यार तुम बस मान जाओ तो।
सरहदो पर जो खड़े सेवा मे सैनिक है,
याद उनको करके इक दीपक जलाओ तो।
भूल जाओ आज नफरत से भरी बातें,
प्यार की लौ तुम सदा दिल मे जगाओ तो।
चार दिन की जिंदगी है भूल जा शिकवे,
प्यार से अब आज तुम सबको हँसाओ तो।
काटते हैं वक्त अपना वो गरीबी मे,
दीप इक सूने मकाँ मे भी जलाओ तो।
– रीता गुलाटी ऋतंभरा, चंडीगढ़