मनोरंजन

ग़ज़ल (हिंदी) – जसवीर सिंह हलधर

आकाश झिलमिला रही है आज भारती,

माहौल खिलखिला रही है आज भारती ।

 

फौलाद को गला दिया ठंडे कढ़ाव में,

पाषाण पिलपिला रही है आज भारती ।

 

तूफान दूर से हमें यूं घूरते रहे ,

पाताल को हिला रही है आज भारती ।

 

खिलने लगे गुलाब शुष्क रेगजार में ,

नवज्ञान से मिला रही है आज भारती ।

 

ऊंचा मुकाम दे रही जमात विश्व की ,

सम्मान वो दिला रही है आज भारती ।

 

रोबोट चांद पर हमारे घूमने लगे ,

दुनिया को तिलमिला रही है आज भारती ।

 

“हलधर” समूचे विश्व में सम्मान बढ़ रहा ,

यशगान सिलसिला रही है आज भारती ।

– जसवीर सिंह हलधर, देहरादून

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