दिखेगे नजारे असर दोस्ती के,
हुऐ आज किस्से अमर दोस्ती के।
रहे पास तेरे सदा जिंदगी मे,
मिटे जान अब तो गुजर दोस्ती के।
दिखी है झलक यार की अब हमे तो,
मिटा कर करे अब नजर दोस्ती के।
किया आज इजहार मुहब्बत में उनकें,
करेगे वो चाहत बसर दोस्ती के।
कहाँ संग रहते सभी आज मिलकर,
अरे हो रहा अब कहर दोस्ती के।
हुआ प्यार तुमसे बड़ा आज हमको,
जरा तुम सम्भालो शहर दोस्ती के।
– रीता गुलाटी ऋतंभरा, चंडीगढ़