मनोरंजन

गीतिका – मधु शुक्ला

हमेशा  जागते  हैं  जो  सुबह  दिनमान  से  पहले,

वही तो  स्वस्थ  रहते  हैं  चिकित्सा ज्ञान से पहले।

 

बनी है  माँग भौतिक साधनों की  चैन  की  दुश्मन,

चलाती  थी  सदन  कम  आय  इत्मीनान से पहले।

 

जगत  में  कम  दिखा है मेल  सूरत  और  सीरत का,

सृजन कवि ध्यान से पढ़ लो सखा गुणगान से पहले।

 

पहुँचना  चाँद  पर  कैसे  हुआ  संभव  जरा  सोचो ,

किया श्रमदान कितनों  ने  मिले  उत्थान  से  पहले।

 

सहज मिलता नहीं जग में किसी को नाम का मोती,

कई  संताप  मिलते  ‘मधु’  मधुर  मुस्कान  से  पहले।

— मधु शुक्ला।सतना, मध्यप्रदेश

Related posts

रोला छंद में बसंत – कर्नल प्रवीण त्रिपाठी

newsadmin

माँ – मधु शुक्ला

newsadmin

बखूबी करें अवकाश का इस्तेमाल – आर. सूर्य कुमारी

newsadmin

Leave a Comment