मनोरंजन

खुदा देश मेरा – अनिरुद्ध कुमार

बुलंदी सिखर पर नया देश मेरा,

धरा से गगन तक बयां देश मेरा।

 

जवाँ देख भारत तिरंगा निशानी,

कहाँ से चले अब कहाँ देश मेरा।

 

हवा गुनगुनाये कहे नित कहानी,

जहां पाँव रख दें वहाँ देश मेरा।

 

वतन पे लगन से फिदा है जवानी,

बतातें सभी को यहाँ देश मेरा।

 

कदम बढ़ रहें है लहूँ में रवानी,

सभी देखतें है सजा देश मेरा।

 

रहो प्यार से भूल बातें पुरानी,

चलों घूम आये मजा देश मेरा।

 

यहीं जिंदगी ‘अनि’ रटें जो गुमानी,

सदा नाज़ हमकों खुदा देश मेरा।

– अनिरुद्ध कुमार सिंह, धनबाद, झारखंड

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