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क्या करूँ? – सम्पदा ठाकुर

तुम्हारी यादों से बढ़कर,

कोई काम ही नही,

तुम्हे याद ना करूँ ,

तो क्या करूँ ?

तुमसे प्यारा कोई

मिला ही नही

ख़्वाबों में तुमसे

मुलाकात ना करूँ,

तो क्या करूँ?

मेरा दिल किसी से भी,

बात चाहता नही करना…..

तुमसे बाते ना करूँ

तो क्या करूँ?

“तुम बिन ” जीना,

जीना नही लगता,

तेरे बिन कही भी

मेरा दिल नही लगता,

तन्हाईयों को भी

तुमसे इस कदर मोहब्बत है,

तन्हाई में भी दिल मेरा

तन्हा नही होता,

तु हर खुशी मेरी

तु जिंदगी मेरी ,

दूर होके अपनी जिन्दगी

से जिऊँ  तो कैसै जिऊँ ?

तेरी यादों से बढ़कर न

कुछ भी है मेरे लिए

तुम्हे याद ना करूँ ,

तो क्या करूँ?

– सम्पदा ठाकुर,  जमशेदपुर

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