हरिक रिश्ते से बढ़कर दोस्ती का एक नाता है।
बिना क़ीमत लिए बस दोस्त ही रिश्ता निभाता है।।
बहुत अनमोल होती हैं पुरानी याद बचपन की।
पुराना दोस्त मिल जाए तो जीवन मुस्कुराता है।।
अचानक ज़िंदगी जब हाथ थामें पास है लाती।
वो लम्हा एक लम्हे के लिए बस थम-सा जाता है।।
भरोसे के बिना कोई भी रिश्ता चल नहीं सकता।
वफ़ादारी निभाता दोस्त हरदम काम आता है।।
हमेशा दोस्त सपनों में सलोने रंग भर देता।
खुली आँखों से देखे ख़्वाब भी पूरा कराता हैं।।
गुज़िश्ता वक़्त की यादें जब आयें सहने गुलशन में।
कोई इक दोस्त प्यारा उस घड़ी तो याद आता है ।।
बिछड़ते वक़्त नीलम अश्क रुकने से नहीं रुकते।
फ़रेबी दोस्त हो तो दोस्ताना टूट जाता है।।
– डा० नीलिमा मिश्रा,प्रयागराज, उत्तर प्रदेश