होगया आदमी मतलबी है
अब कहाँ जिंदगी दोस्ती है
यार को ना कभी पूछतें है
अब कहाँ बंदगी दोस्ती है
देख इंसा सदा तोलता है
फायदा सोंच हीं दोस्ती है
अब भरोसा किसे यारपे है
कौन बोले सही दोस्ती है
यार झूठा छलावा लगें है
माल देखें तभी दोस्ती है
रोज मजमा लगाये फिरे है
मौज मस्ती बनीं दोस्ती है
आज ‘अनि’ देख यारी डरे है
अब कहाँ प्यार की दोस्ती ह
– अनिरुद्ध कुमार सिंह
धनबाद, झारखंड