मनोरंजन

कठपुतली कला को देख बच्चों की गुंजेगी किलकारी : सुनील कुमार

neerajtimes.com मुजफ्फरपुर (बिहार) – सरला श्रीवास सामाजिक सांस्कृतिक शोध संस्थान द्वारा विलुप्त हो रहे कठपुतली कला को लेकर कई वर्षो से कार्य की जा रही हैं। बच्चों को मनोरंजन तरीके से कठपुतली कला की शुरआत की कहानी को पहुंचाने के लिए शिवकाष्ठ की तैयारी की जा रही हैं इसमें शिवम की तस्वीर को चयनित किया गया हैं। ग्रामीण से लेकर शहरी मंचो पर बाल शिव के रूप में शिवम की तस्वीर दिखाई देगी।

शिवरात्रि के दिन जन्म लेने के कारण अस्पताल की नर्स द्वारा शिवम नाम सुझाया गया जिसे उनके माता पिता एवं परिवार के सदस्यों द्वारा स्वीकार कर लिया गया। शिव काष्ठ में  शिव श्लोक से लेकर शिव संवाद में लोक गायिका अनीता कुमारी के स्वर सुनाई देंगे।

कठपुतली इतिहास में बताया गया हैं की भगवान शिव ने काष्ठ की मूर्ति में प्रवेश कर माता पार्वती का मन बहला कर इस कला का प्रारंभ किया था।

लोक कलाकार सुनील कुमार का मानना हैं कठपुतली का खेल अत्यंत प्राचीन नाटकीय खेल हैं। यह खेल गुड़ियों अथवा पुतलियों द्वारा खेला जाता हैं। गुड़ियों के नर मादा रूपों द्वारा जीवन के अनेक प्रसंगों की विभिन्न विधियों से अभिव्यक्ति की जाती हैं और जीवन को नाटकीय विधि से मंच पर प्रस्तुत किया जाता हैं। कठपुतली कला को कुछ समय पहले तक लोग केवल मनोरंजन का साधन मानते थे परंतु अब यह कला करियर का रूप लेती जा रही हैं। कठपुतली कला भारत के साथ साथ विदेशों में भी लोकप्रिय होती जा रही हैं।कठपुतली कला का प्रयोग शिक्षा कार्यक्रमों,रिसर्च कार्यक्रमों ,विज्ञापनों आदि अनेक क्षेत्रों में उपयोग किया जा रहा हैं। बच्चों एवं युवाओं में रचनात्मक एवं सृजनात्मक एवं समग्र विकास के लिए कठपुतली कला का क्रियात्मक प्रयोग के साथ पाठ्यक्रम में शामिल किया जाना चाहिए। – कठपुतली कलाकार सुनील कुमार,  मुजफ्फरपुर, बिहार

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