मनोरंजन

गीतिका – मधु शुक्ला

रिमझिम गिरे बौछार सावन में,

शिव जी लुटाते प्यार सावन में।

 

अक्षत सुमन नैवेद्य लेकर जन,

जाते शिवा के द्वार सावन में।

 

बेला चमेली बेलपत्री के,

चारों तरफ भंडार सावन में।

 

श्रद्धा सहित शिव नाम जपते हैं,

गूँजे बहुत जयकार सावन में।

 

‘मधु’ के हृदय में भक्ति की धारा,

शुचि तम भरे उद्गार सावन में।

— मधु शुक्ला, सतना , मध्यप्रदेश

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