सोचते वो हमें तो सस्ते हैं,
पास आने का ढूँढते रस्ते हैं।
यार माँगे दुआ खुदा से हम,
भूल मत यार हम तुम्हारे हैं।
दिल वफा आप से ही कर बैठा,
बेवफा अब लगे पुराने है।
डूबते अब रहे ख्यालो मे,
जाम मय के उन्हें पिलाने हैं।
भूल हमसे हुई कहां पहुंचे,
पा लिये अब तो आज धोखे हैं।
तोड़ बैठे वो दिल अभी मेरा,
हाय फिर भी वो याद आये हैं।
– रीता गुलाटी ऋतंभरा, चण्डीगढ़