तुझको सांसों में हम बसाए है,
पास हमदम सदा ही पाते हैं।
जब वे इकरार प्यार का माने,
जान के खुद ही हम लजाए हैं,
जिंदगी मिलती है दुआओं से
यूं ही बेकार में गंवाते है।
कर शरारत हमें दिखाये हैं,
हर अदा पर हम मुस्कुराते हैं।
दिल तो पत्थर का था बना मेरा
फूल अरमानों के खिलाए है।
है ये जादू तेरे ही उल्फत का,
संग तेरे ही हम गुनगुनाते हैं.
जिंदगी “ज्योति” की संवरती जो,
तुझको दिल में ही हम बिठाए हैं।
– ज्योति अरुण श्रीवास्तव, नोएडा, उत्तर प्रदेश