मनोरंजन

गीत – जसवीर सिंह हलधर

किसकी लगी तुझको नज़र किसकी लगी है बद्दुआ ।

आधी उमर बर्बाद कर ये तो बता किसका हुआ ।।

 

परदेश जाकर मुल्क की करने लगा बदनामियां ।

तूने कभी खोजी नहीं अंतस छिपी नाकामियां ।

सागर समझते थे तुझे तू बन  गया उथला कुआ ।।

आधी उमर बर्बाद कर ये तो बता किसका हुआ ।।1

 

आशा निराशा ने डसी सड़कें तुझे ढोती रहीं ।

कंधे बदलती मन्नतें घर में खड़ी रोती रहीं ।

खलिहान तुझको कोसते हैं ,बैल छोड़े हैं जुआ ।।

आधी उमर बर्बाद कर ये तो बता किसका हुआ ।।2

 

पीले पड़े मुरझा गए हैं पेड़ तेरी याद में ।

ऋतुएं बहुत नाराज़ हैं जाने लगीं अवसाद में ।

बंगाल में रोने लगी ये देखकर ममता बुआ ।।

आधी उमर बर्बाद कर ये तो बता किसका हुआ ।।3

 

दिनमान माना था तुझे तू रात काली हो गया ।

आशा कुचल जनतंत्र की तू क्यों मवाली हो गया ।

पिज्जा समझ कर खा गया तू लोकशाही का पुआ ।।

आधी उमर बर्बाद कर ये तो बता किसका हुआ ।।4

 

आवाज़ दे दे कर थकी तुझको यहां पुरबाइयां ।

तुझको कभी भायी नहीं इस देश की अमराइयां ।

“हलधर” तुझे खंजर कहे या घाव सीने का सुआ ।।

आधी उमर बर्बाद कर ये तो बता किसका हुआ ।।5

जसवीर सिंह हलधर , देहरादून

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