मनोरंजन

तपन – सुनील गुप्ता

(1)” त “, तपन मन की

बुझे कैसे    !

लगन दिल की…..,

लगे कैसे   !!

(2) ” प “, परस्पर प्यार

बढ़े कैसे    !

स्वयं से दुलार….,

घटे कैसे   !!

(3) ” न “, नकार सकूँ

नहीं हिम्मत   !

बदल सकूँ…….,

नहीं चाहत  !!

(4) ” तपन “, तपन से कब

तक भागूँगा  !

कि, सहना…..,

यहीं दुःख होगा  !!

(5) ” तपन “, तपन है तन

और मन की यहां  !

बुझे ये…….,

जल्दी से कहां  !!

(6) ” तपन “, तपन को

हो ग़र मिटाना  !

तो, करो स्वयं पर……,

विश्वास घना  !!

(7) ” तपन “, तपन की अगन

से बचना है   !

तो प्रभु की लगन से…..,

जुड़ना है    !!

(8) ” तपन “, तपन घटती

चली जाए   !

प्रेम भक्ति…..,

जब लग जाए  !!

(9) ” तपन “, तपन है

मन की अवस्था  !

बुझाना है……,

तो, करें व्यवस्था !!

(10) ” तपन “, तपन की तपिश

को स्वीकारें   !

मन की कशिश से…..,

ना कभी हारें   !!

(11)  चलें करते प्रभु प्रार्थना

कि, एषणाएं हो जाए शांत  !

तपन घटती चली जाएं……,

और हो जाए क्लान्त मन शांत  !!

-सुनील गुप्ता (सुनीलानंद), जयपुर, राजस्थान

 

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