(1)” त “, तपन मन की
बुझे कैसे !
लगन दिल की…..,
लगे कैसे !!
(2) ” प “, परस्पर प्यार
बढ़े कैसे !
स्वयं से दुलार….,
घटे कैसे !!
(3) ” न “, नकार सकूँ
नहीं हिम्मत !
बदल सकूँ…….,
नहीं चाहत !!
(4) ” तपन “, तपन से कब
तक भागूँगा !
कि, सहना…..,
यहीं दुःख होगा !!
(5) ” तपन “, तपन है तन
और मन की यहां !
बुझे ये…….,
जल्दी से कहां !!
(6) ” तपन “, तपन को
हो ग़र मिटाना !
तो, करो स्वयं पर……,
विश्वास घना !!
(7) ” तपन “, तपन की अगन
से बचना है !
तो प्रभु की लगन से…..,
जुड़ना है !!
(8) ” तपन “, तपन घटती
चली जाए !
प्रेम भक्ति…..,
जब लग जाए !!
(9) ” तपन “, तपन है
मन की अवस्था !
बुझाना है……,
तो, करें व्यवस्था !!
(10) ” तपन “, तपन की तपिश
को स्वीकारें !
मन की कशिश से…..,
ना कभी हारें !!
(11) चलें करते प्रभु प्रार्थना
कि, एषणाएं हो जाए शांत !
तपन घटती चली जाएं……,
और हो जाए क्लान्त मन शांत !!
-सुनील गुप्ता (सुनीलानंद), जयपुर, राजस्थान