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कविता – जसवीर सिंह हलधर

आओ रीति पुरानी छोड़ें ,आओ नीति सुहानी मोड़ें ।

सोया वातावरण जगाएं ,सागर लांघें नदियां जोड़ें ।।

 

गधे नहीं संसद घुस पाएं , केवल घोड़े अंदर आएं ।

खोया वैभव हमें दिलाएं ,ऐसे कर्णधार चुन लाएं ।

पत्थर बाजों के सीने पर ,उनके ही पत्थर को फोड़ें ।।

आओ रीति पुरानी छोड़ें ,आओ नीति सुहानी मोड़ें ।।1

 

भूतकाल को पढ़ते जाएं ,बर्तमान से गढ़ते जाएं ।

ज्ञान पताका ले धरती से ,आसमान में चढ़ते जाएं ।

अपने ज्ञान और तप बल से ,अहंकार का पर्वत तोड़ें ।।

आओ रीति पुरानी छोड़ें , आओ नीति सुहानी मोड़ें ।।2

 

ज्ञान और विज्ञान हमारा ,सारे जग का बने सहारा ।

विश्व गुरु बनने को बैठा ,भारत देश अनौखा प्यारा ।

दुनियां को रस्ता दिखलायें ,आतंकों की भुजा मरोड़ें ।।

आओ रीति पुरानी छोड़ें ,आओ नीति सुहानी मोड़ें ।।3

 

नेताओं का सही वरण हो , राम चुनें ना कुंभकरण हो ।

निर्वाचन के महा पर्व का ,सबसे पहला यही चरण हो ।

देश धर्म की खातिर” हलधर”, सुर्ख़ लहू या स्वेद निचोड़ें ।।

आओ रीति पुरानी छोड़ें ,आओ नीति  सुहानी मोड़ें  ।।4

– जसवीर सिंह हलधर, देहरादून

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