मनोरंजन

कह दें मन की बात – सुनील गुप्ता

(1)”कह “, कह दें अपनों से ग़र मन की बात

तो, मन हल्का हो जाया करता है   !

और निकल आता हर प्रश्न का हल……..,

क्षण में समाधान हो जाता है !!

(2)”दें “, दें औरों को यदि हम तवज्जो

और सुन लिया करें उनकी बात  !

तो, अपनों से कहने की हिम्मत…..,

और मन से कर सकते हैं अपनी बात   !!

(3)”मन “, मन से मन मिला करते हैं तभी

जब साफ़ मन से करते हैं बात  !

होया करता नहीं जहां दुराव छिपाव….,

वहीं आपस में होती प्रेम मुलाक़ात  !!

(4)”की “, कील सी चुभती रहे कोई बात

तो, आखिर मन को ही पहुंचाए चोट  !

और कह देने से मिले तुरंत राहत…..,

अपनों से कहने में नहीं है कोई खोट  !!

(5)”बात “, बात बेबाक स्पष्ट करने से ही

निकल आया करते हैं सारे हल  !

और दबाये मन में रखने से…..,

अक़्सर चुभते हैं वही प्रतिपल !!

(6)”कह दें मन की बात “, यदि हम

तो, समय रहते हो जाएं फैसले !

और यदि रह जाएं दफ़न मन में ही कहीं..,

तो, बन जाया करते हैं फिर फासले  !!

(7) रहें सदा मन से यहां निष्कपट

और कह दें मन से मन की बात   !

तो, जीवन में आएं ना कोई संकट…..,

और चैन से कटे फिर दिन और रात  !!

सुनील गुप्ता (सुनीलानंद), जयपुर, राजस्थान

Related posts

बेमतलब – सुनीता मिश्रा

newsadmin

ग़ज़ल – ऋतु गुलाटी

newsadmin

नभ के पंछी – सुनील गुप्ता

newsadmin

Leave a Comment